Sunday, August 10, 2008

कविता




वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान
निकल कर नैनों से से चुपचाप बही होगी कविता अनजान
("सुमित्रा नंदन पन्त" )

3 comments:

PREETI BARTHWAL said...

बहुत खूब

शोभा said...

ये पंक्तियाँ सुन्दर तो हैं पर आपकी नहीं हैं। जब भी किसी दूसरे का प्रकाशित करें, उनका नाम भी दें। सस्नेह

Udan Tashtari said...

इन पंक्तियों के रचयिता सुमित्रानंदन पंत जी का नाम साथ में डाल दें. यह एक स्वस्थ परंपरा है.

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