Wednesday, August 5, 2009

दिल मेरा मुझपे आ रहा है



क्या समां छा रहा है की दिल मेरा मुझपे आ रहा है |
क्या बात हुई की ख़ुद ही मैं गुनगुना रहा है ||

आइना मुझसे मेरी पूरानी सी सूरत मांगता है /
जवान जिंदादिल मुझसे मेरी पुरनी मूरत मांगता है //

अपने आँचल से उजाला ढक लेती है, चांदनी रात |
कि कपड़े बदलने से नही बदलते हालात //

बदलते मौसम मैं तन्हाई की शाम कहाँ बदलती है |
ये हिज्र शाम रोज़ गमेशब् मैं ढलती है ||


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