Wednesday, March 25, 2009

विरहन


एरी सखी का से कहों मन की बतियाँ
सूने मोरे दिन पुरे , सूनी मोरी रतियाँ |
तोसे मिलूँ तो कहूँ मैं विरहा की बातें
कसे काटें मोरे दिन कैसे मोरी रातें |
सुनरी पवन अगर पी तुझको मिले
कहना भली हूँ पर जी न लगे|

बरसेगा सावन आग मन मैं लगेगी
तरसेगी विरहा प्यासी , बूंदों से जलेगी |
Blog Widget by LinkWithin