Tuesday, September 30, 2008

मुझ से चांद कहा करता है--


मुझ से चांद कहा करता है--


चोट कडी है काल प्रबल की,
उसकी मुस्कानों से हल्की,
राजमहल कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू तो है लघु मानव केवल,
पृथ्वी तल का वासी निर्बल,
तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ में नित्य बहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू अपने दुख में चिल्लाता,
आँखो देखी बात बताता,
तेरे दुख से कहीं कठिन दुख यह जग मौन सहा करता है
मुझसे चांद कहा करता है

3 comments:

Vinay said...

you write very well, keep writing... happy Navaratri...

makrand said...

तू तो है लघु मानव केवल,
पृथ्वी तल का वासी निर्बल,
तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ में नित्य बहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है

bahut sunder rahana
manva keval putla hey
chand to uska apna hey
regards

Udan Tashtari said...

वाह! बहुत सुन्दर...

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