Monday, September 29, 2008

कोई गाता मैं सो जाता !


कोई गाता मैं सो जाता कोई गाता ।

संसृति के विस्‍तृत सागर पर
सपनों की नौका के अंदर।।
सुख दुख की लहरों पे उठ गिर
बहता जाता मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।

आंखों में भरकर प्‍यार अमर
आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख
सहलाता, मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।

मेरे जीवन का खारा जल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्‍वर में मधुमय कर
बरसाता, मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।

4 comments:

शोभा said...

हरिवंश राए बच्चन जी की ये रचना मुझे बहुत प्रिय है. आपका आभार.

MANVINDER BHIMBER said...

Hariwansh roy bhacchan ji ki is rachana ko padwaane ke liye shukriya

Udan Tashtari said...

बहुत बहुत अभार...बच्चन जी की इस रचना के लिए.

mehek said...

आंखों में भरकर प्‍यार अमर
आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख
सहलाता, मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।। behad sundar aur dil ke paas ki ek kavita bahut dino baad padhi,shukriya

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