Tuesday, September 30, 2008

मुझ से चांद कहा करता है--


मुझ से चांद कहा करता है--


चोट कडी है काल प्रबल की,
उसकी मुस्कानों से हल्की,
राजमहल कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू तो है लघु मानव केवल,
पृथ्वी तल का वासी निर्बल,
तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ में नित्य बहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू अपने दुख में चिल्लाता,
आँखो देखी बात बताता,
तेरे दुख से कहीं कठिन दुख यह जग मौन सहा करता है
मुझसे चांद कहा करता है

Monday, September 29, 2008

कोई गाता मैं सो जाता !


कोई गाता मैं सो जाता कोई गाता ।

संसृति के विस्‍तृत सागर पर
सपनों की नौका के अंदर।।
सुख दुख की लहरों पे उठ गिर
बहता जाता मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।

आंखों में भरकर प्‍यार अमर
आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख
सहलाता, मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।

मेरे जीवन का खारा जल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्‍वर में मधुमय कर
बरसाता, मैं सो जाता ।।
कोई गाता ।।
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