Wednesday, April 15, 2020
O Mere Dil Ke Chain ❖ Kishore Kumar ❖ Old Hindi Songs ❖ Melodica Cover B...
Presenting the cover song of the most romantic old Hindi songs "O Mere Dil Ke Chain" from the movie Mere Jeevan Saath. Music Directed by R.D Burman. This song is sung by Kishore Kumar.
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Melodica : Praveen Parashar
Recording & Mixing/Edit : Praveen Parashar
Video Edit & Effects: Abhi Sharma (https://www.youtube.com/user/abhishek...)
Direction & Cinematography: Soniya Sharma
Original Song Credits:
Film: Mere Jeevan Saathi
Song: O Mere Dil Ke Chain
Artist: Kishore Kumar
Music Director: R.D Burman
Lyricist: Majrooh Sultanpuri
Filmstar: Rajesh Khanna, Tanuja, Sujit Kumar, Bindu, Rajendranath, Helen, Sulochna, Nazir Hussain
Director: Ravi Nagaich
Mood: Happy
Label :: Saregama India Ltd.
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Tuesday, March 24, 2020
Chura Liya Hai Tumne Jo Dil Ko ❖ Old Hindi Songs ❖Melodica Cover By Prav...
#PraveenParashar,#MelodicaCover,#ChuraLiyaHaiTumneJoDilKo
Chura Liya Hai Tumne Jo Dil Ko ❖ Yaadon Ki Baaraat ❖ Old Hindi Songs ❖ Cover Song By Praveen Parashar
"Chura Liya Hai Tumne Jo Dil Ko". "Chura Liya Hai Tumne" originally sang by Asha Bhosle and Mohammed Rafi.
"Chura Liya Hai Tumne Jo Dil Ko" Cover Song Credits
Melodica: Praveen Parashar
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Sunday, October 19, 2014
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Sunday, October 14, 2012
Tuesday, August 16, 2011
लोकपाल बिल हिंदी मै यहाँ से प्राप्त करें
लोकपाल बिल हिंदी मै यहाँ से प्राप्त करें
लोकपाल के बारे मैं और अन्ना हजारे के बारे मैं ज्यादा जानकारी पाने के लिए इस वेबसाइट पर जाएँ
http://www.indiaagainstcorruption.org और इस वेबसाइट पैर लोकपाल के समर्थन मै अन्ना हजारे द्वारा दिया गया जन सन्देश है जो आप प्रिंट करके और ऊसके प्रतियाँ बनाकर सब को बाँट सकते है ,
यहं से template को डाउनलोड करे .http://www.indiaagainstcorruption.org/docs/
देश को भ्रस्टाचार से मुक्त कर ने मैं आप हाथ बटाएं
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Saturday, July 24, 2010
मैं और तुम
मन के दरिया मैं मासूम सी लहर उठी है |
पतझड़ मैं उड़ते पत्तों सी तुम यादों के आंगन को भर जाती हो ||
मैं कलियों को चूमता हूँ तुम्हे सोचकर ,और
तुम मुझे सोचकर बालों मैं फूलों को सजाती हो |
मुझे आसमान पे बस एक चांदनी नज़र आती है
तुम चाँद के दाग पर बस नजरें टिकती हो||
मैं पुकारता हूँ की सारा जहाँ सुन सके |
तुम कानों मैं हल्के से बुदबुदाती हो ||
मैं नुमाइश करता हूँ पागलपन की हद तक
और तुम चुप रहती हो छुपाती हो ||
मैं सब कहता हूँ पर जता नहीं पता |
और तुम कुछ नहीं कहती फिर सब जताती हो ||
कोन हो तुम , कोई तुम्हारा नाम तो पूछे |
क्यों किसी अनजान को इतना सताती हो ||
Saturday, July 3, 2010
यूँ न देखो
रंग -ए- सूरत ये झूट का नक़ाब उतार के देखो ..
अब मेरे बिन इक लम्हा गुज़ार के देखो ..
गुमनाम न समझो कुदरत के करिश्मों को .
इल्म की रोशनी है अन्दर ही , इसे बाहर न देखो |
वो जो इक तेरे दर पे बार - बार आता है .
हो तुम भी उस के दीवाने , उसको ही तलबगार न देखो .
वो जो देखता है सब को ऊपरवाला जिसे कहते है .
उसे बैठा कहीं किसी मज़ार पे न देखो ।
अब मेरे बिन इक लम्हा गुज़ार के देखो ..
गुमनाम न समझो कुदरत के करिश्मों को .
इल्म की रोशनी है अन्दर ही , इसे बाहर न देखो |
वो जो इक तेरे दर पे बार - बार आता है .
हो तुम भी उस के दीवाने , उसको ही तलबगार न देखो .
वो जो देखता है सब को ऊपरवाला जिसे कहते है .
उसे बैठा कहीं किसी मज़ार पे न देखो ।
Saturday, February 27, 2010
प्रेम रंग की होली
अनेकता मैं जो एकता से प्रतीत होते हैं |
जैसे इक धुन मैं पिरोये कई गीत होते हैं ||
फूलों को जो शोख़, आसमान को संगीन बनाते हैं|
रंगों मैं रंग मिलकर ,और भी रंगीन होते हैं ||
रंगों सा जीवन , जीवन का भी इक रंग है |
सुख मैं थोडा दुख मिला हुआ , कहीं कम , कहीं ज्यादा खिला हुआ है ||
बने मत रहो बेरंग, सब रंगों से मिल जाओ
छुटे न जो सदियों तक कुछ ऐसा रंग लगाओ ||
तन रंग लें , मन रंग लें , जीवन सारा रंग लें ||
आओ अबकी होली प्रेम रंग से खेलें ||
""आओ अबकी होली प्रेम रंग से खेलें""
जैसे इक धुन मैं पिरोये कई गीत होते हैं ||
फूलों को जो शोख़, आसमान को संगीन बनाते हैं|
रंगों मैं रंग मिलकर ,और भी रंगीन होते हैं ||
रंगों सा जीवन , जीवन का भी इक रंग है |
सुख मैं थोडा दुख मिला हुआ , कहीं कम , कहीं ज्यादा खिला हुआ है ||
बने मत रहो बेरंग, सब रंगों से मिल जाओ
छुटे न जो सदियों तक कुछ ऐसा रंग लगाओ ||
तन रंग लें , मन रंग लें , जीवन सारा रंग लें ||
आओ अबकी होली प्रेम रंग से खेलें ||
""आओ अबकी होली प्रेम रंग से खेलें""
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अपनी कलम से
Friday, December 11, 2009
मतवाली कलि
था भवरा नादाँ मगर फ़िर भी इंकार वो करता था /
भन-भन करता बाग़ों मैं कलियों के पीछे फिरता था //
अधखिली थी कलि मगर, थी कलि बड़ी मतवाली /
कहती है खिलने तो ,देखो सागर है मेरा खाली//
भवरें ने सागर को भरने की फ़िर हर कोशिश कर डाली /
हो उदास भवरें ने फ़िर सागर मैं आँखों से एक बूँद मिला दी //
कहे कलि खिलकर भवरें से मिलकर ,
था बागवान ने सींचा हरपल, थी इसीलिए मतवाली /
था सागर मेरा भरा हुआ ,बस एक बूँद थी खाली //
भवरा वो ले गया उड़कर खिली कलि मतवाली /
जो बड़े जतन से सींच -सींच कर बागवान ने पाली //
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अपनी कलम से
Sunday, September 27, 2009
इज़हार
इक बार पहले भी मुझे धोका बहर ये दे चुके
की दोस्ती भी दिल की अपनी दोस्तों मौसम से है //
वो जो कभी न कर सका , वो आज लिख चला हूँ मैं
की आज वो इज़हार लिखना ,लिखने की कसम पे है //
ख़मोश लफ्जों से मुझे कुछ कुछ बुदबुदाना याद है
किसी की याद मैं लिखी ग़ज़ल ,वो मौसम पुराना याद है //
लिखते -लिखते आज मेरे हाथ कुछ नम से हैं
लफ्ज उस वक्त भी कुछ कम से थे , इस वक्त भी कुछ कम से हैं //
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अपनी कलम से
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